Contents
- 1 Online Gaming का बदलता खेल: सरकार ने कर दिया बड़ा फैसला!
- 2 मंत्री जी ने क्या कहा? 3 तरह के Online Gaming, 3 अलग बातें!
- 3 असली खतरा कहाँ है? जब ‘Online Gaming’ जान का दुश्मन बन जाए!
- 4 उन्होंने कुछ गंभीर खतरे गिनाए, जो Online Money Gaming के साथ आते हैं:
- 5 सरकार का सीधा फंडा: समाज पहले, कमाई बाद में!
- 6 चर्चा हुई या नहीं? विपक्ष के हंगामे में ही पास हो गया बिल!
आजकल Online Gaming का क्रेज तो हर किसी पर छाया हुआ है। बच्चे-बूढ़े, जवान – सबके फोन में कोई न कोई गेम तो मिल ही जाता है। पर क्या आप जानते हैं कि यही Online Gaming अब हमारी सरकारों के लिए भी एक बड़ा मुद्दा बन गई है? हाल ही में संसद में कुछ ऐसा हुआ, जो हर ऑनलाइन गेमर और उनके परिवार के लिए जानना बहुत जरूरी है।
Online Gaming का बदलता खेल: सरकार ने कर दिया बड़ा फैसला!
हाल ही में हमारी लोकसभा में Online Gaming से जुड़ा एक बहुत ही खास कानून बिना किसी बहस के ही पास हो गया। जी हां, आप सही सुन रहे हैं! बिना किसी लंबी-चौड़ी चर्चा के, शोर-शराबे और हंगामे के बीच ये बिल धड़ाम से पास हो गया। अब आप सोचेंगे कि ऐसा क्यों हुआ? तो माजरा कुछ और था, दरअसल, उस दिन संसद में वोटर लिस्ट को लेकर काफी बवाल मचा हुआ था, विपक्ष हंगामा कर रहा था। इसी गहमागहमी के बीच सरकार ने ये मौका देखकर ऑनलाइन गेमिंग का बिल पास करा लिया। राज्यसभा में भी एक और बिल इसी तरह पास हुआ, जिसमें असम के गुवाहाटी में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट बनाने की बात थी।
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मंत्री जी ने क्या कहा? 3 तरह के Online Gaming, 3 अलग बातें!
हमारे इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस बिल को पेश करते हुए कुछ बड़ी बातें कहीं। उन्होंने बताया कि पिछले 11 सालों में डिजिटल दुनिया ने कितनी तेजी से तरक्की की है। नए-नए स्टार्टअप्स आ रहे हैं, सब कुछ बदल रहा है। और इसी बदलती दुनिया में Online Gaming एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है।
उन्होंने समझाया कि Online Gaming को हम मोटे तौर पर 3 हिस्सों में बांट सकते हैं। सोचिए जरा, ये तीनों हिस्से कितने अलग हैं और सरकार इनमें से किसे बढ़ावा देना चाहती है और किससे बचाना चाहती है:
- 1. ई-स्पोर्ट्स (E-Sports): दिमाग का खेल!
ये वो गेम्स हैं जहाँ आपको दिमाग लगाकर खेलना होता है। जैसे रणनीतिक खेल, टीम वर्क वाले Online Gaming। इसमें दिमाग तेज होता है और आप टीम में काम करना सीखते हैं। सरकार कहती है, “ये तो बहुत अच्छी बात है, इसे तो बढ़ावा मिलना चाहिए!” - 2. ऑनलाइन सोशल गेम्स: बस मनोरंजन और मस्ती!
आपने शतरंज (चेस), सॉलिटेयर, सुडोकू जैसे गेम्स तो खेले ही होंगे। ये सिर्फ मनोरंजन के लिए होते हैं, इनसे दिमाग भी तेज होता है और याददाश्त भी बढ़ती है। सरकार इन्हें भी ‘ग्रीन सिग्नल’ दे रही है, यानी ये भी अच्छे हैं, इन्हें भी प्रमोट करेंगे। - 3. ऑनलाइन मनी गेम्स: असली सिरदर्द यहाँ है!
और अब आते हैं तीसरे टाइप पर, जो आजकल सबसे बड़ी मुसीबत बना हुआ है। ये वो गेम्स हैं जहाँ पैसे लगाए जाते हैं, दांव लगता है। मंत्री जी ने साफ कहा कि यही वो ‘गेम’ है जिसने कई परिवारों की जिंदगी तबाह कर दी है।
असली खतरा कहाँ है? जब ‘Online Gaming’ जान का दुश्मन बन जाए!
Online Money Gaming के बारे में मंत्री जी ने कुछ ऐसी बातें बताईं, जो किसी को भी चौंका सकती हैं। उन्होंने बताया कि कैसे लोग इन गेम्स के चक्कर में फंसकर अपनी पूरी जिंदगी की कमाई दांव पर लगा देते हैं। उन्हें इन गेम्स की इतनी बुरी एडिक्शन हो जाती है कि वे चाहकर भी निकल नहीं पाते।
उन्होंने कुछ गंभीर खतरे गिनाए, जो Online Money Gaming के साथ आते हैं:
- 1. लत और बर्बादी: कई परिवारों ने अपनी सारी जमा-पूंजी इन गेम्स में उड़ा दी है।
- 2. धोखाधड़ी और हेराफेरी: इन गेम्स के एल्गोरिदम इतने चालाक होते हैं कि आपको पता ही नहीं चलता कि कौन आपके साथ खेल रहा है और आपकी हार पहले से ही तय होती है।
- 3. दिल दहलाने वाले मामले: मंत्री जी ने कर्नाटक का एक उदाहरण दिया, जहाँ सिर्फ 31 महीनों में 32 लोगों ने इन गेम्स की वजह से आत्महत्या कर ली! सोचिए, ये कितनी गंभीर बात है।
- 4. मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद: इन गेम्स के जरिए काले धन को सफेद भी किया जा रहा है और यहाँ तक कि आतंकवाद को भी बढ़ावा मिल रहा है।
- 5. WHO की चेतावनी: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने तो ऑनलाइन गेमिंग की इस लत को एक मानसिक बीमारी (डिसऑर्डर) घोषित कर दिया है।
सरकार का सीधा फंडा: समाज पहले, कमाई बाद में!
इतनी गंभीर बातें सुनकर आप सोच रहे होंगे कि फिर सरकार Online Gaming को क्यों बढ़ावा देना चाहती है? तो मंत्री जी ने साफ किया कि सरकार सिर्फ ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेमिंग को ही बढ़ावा देगी। इसके लिए नई अथॉरिटी बनेगी, गेम बनाने वालों को मदद मिलेगी और कई योजनाएं भी आएंगी।
पर जब बात समाज और सरकार के राजस्व (कमाई) के बीच संतुलन बनाने की आती है, तो मंत्री जी ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी ने हमेशा समाज को ही चुना है, मध्यमवर्गीय परिवारों को प्राथमिकता दी है। इस बिल में भी उन्होंने यही किया है, समाज की भलाई को सबसे ऊपर रखा है। उनका मकसद यही है कि समाज में जो ये बड़ी बुराई आ रही है, उसे रोका जा सके।
चर्चा हुई या नहीं? विपक्ष के हंगामे में ही पास हो गया बिल!
मंत्री जी ने सभी सांसदों से इस बिल को बिना किसी विरोध के पास करने की अपील की। लेकिन जैसा कि हमने पहले बताया, विपक्ष तो वोटर लिस्ट के मुद्दे पर अड़ा हुआ था और हंगामा थमने का नाम ही नहीं ले रहा था। इसी शोर-शराबे के बीच इस बिल पर कोई चर्चा नहीं हो पाई। बिना किसी बहस के, सिर्फ ध्वनि मत (यानी आवाज सुनकर) से ये बिल पास हो गया और उसके बाद लोकसभा की कार्यवाही अगले दिन तक के लिए रोक दी गई।
तो देखा आपने, कैसे एक तरफ Online Gaming हमारे मनोरंजन का साधन है, वहीं दूसरी तरफ कुछ गेम्स ऐसे हैं जो हमारी जिंदगी बर्बाद कर सकते हैं। ये नया कानून इसी बैलेंस को बनाने की कोशिश है। उम्मीद है ये बदलाव गेमिंग की दुनिया को एक सुरक्षित और जिम्मेदार रूप देगा।









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