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सोशल मीडिया पर अक्सर ऐसी बातें वायरल हो जाती हैं, जो कुछ ही समय में देशभर में चर्चा का विषय बन जाती हैं। हाल ही में मशहूर अभिनेता परेश रावल की एक पोस्ट ने लोगों को चौंका दिया। इस पोस्ट में Taj Mahal को लेकर भगवान शिव का जिक्र किया गया, जिसके बाद इंटरनेट पर बवाल मच गया।
परेश रावल के बयान ने ताज महल विवाद (Taj Mahal controversy) को फिर से सुर्खियों में ला दिया है। आइए जानते हैं कि आखिर पूरा मामला क्या है और लोगों की क्या प्रतिक्रियाएँ सामने आईं।
परेश रावल की पोस्ट ने क्यों मचाया हंगामा?
फिल्मों में अपने शानदार अभिनय और बेबाक बयानों के लिए मशहूर परेश रावल ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया। इस पोस्ट में उन्होंने लिखा कि – “Taj Mahal का असली रहस्य इसके गुंबद में भगवान शिव से जुड़ा है।”
इस बयान ने आग में घी डालने का काम किया। कुछ लोगों ने इसे तथ्य आधारित माना, तो वहीं कई लोगों ने इसे फेक न्यूज़ करार दिया। यही वजह है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे Twitter, Facebook और Instagram पर #TajMahal, #ParesRawal और #ShivDome जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।
Taj Mahal और भगवान शिव से जुड़ा विवाद नया नहीं है
यह पहली बार नहीं है जब ताज महल को लेकर भगवान शिव का नाम जुड़ा हो।
- कुछ इतिहासकारों और शोधकर्ताओं का दावा है कि ताज महल दरअसल पहले एक शिव मंदिर था, जिसका नाम तेजोमहालय (Tejo Mahalaya) था।
- इस थ्योरी के अनुसार, बाद में इसे शाहजहाँ ने मुमताज महल की याद में मकबरे के रूप में बदल दिया।
हालाँकि, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने अब तक इस दावे की पुष्टि नहीं की है। फिर भी, हर बार इस विषय पर कोई नया बयान आने पर विवाद खड़ा हो जाता है।
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सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाएँ
परेश रावल की पोस्ट पर लोगों ने जमकर प्रतिक्रिया दी।
- एक यूज़र ने लिखा – “अगर यह सच है तो ASI को इस पर रिसर्च करनी चाहिए।”
- दूसरे यूज़र ने कहा – “इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करना गलत है।”
- वहीं, कई लोगों ने परेश रावल को हिम्मती कलाकार बताते हुए उनका समर्थन किया।
यानी, इस मुद्दे ने समाज को दो हिस्सों में बाँट दिया –
- समर्थक, जो मानते हैं कि Taj Mahal पहले शिव मंदिर था।
- विरोधी, जो इसे सिर्फ एक ऐतिहासिक मकबरा मानते हैं।
विवाद का असर और आगे की राह
इस तरह के विवाद अक्सर जनता की भावनाओं को झकझोरते हैं।
- पर्यटन पर असर: Taj Mahal हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता है। विवाद से इसकी छवि प्रभावित हो सकती है।
- राजनीतिक पहलू: कई बार ऐसे मुद्दों का इस्तेमाल राजनीतिक बहस के लिए भी किया जाता है।
- सोशल मीडिया हाइप: वायरल पोस्ट्स से आम जनता में भ्रम की स्थिति पैदा होती है।
इसलिए ज़रूरी है कि इस तरह के संवेदनशील विषयों पर सरकार और शोधकर्ता स्पष्ट जानकारी साझा करें।
निष्कर्ष
परेश रावल की एक पोस्ट ने Taj Mahal को फिर से सुर्खियों में ला दिया है। कुछ लोग इसे धार्मिक सत्य मानते हैं, तो कुछ इसे सिर्फ एक अफवाह बताते हैं। लेकिन इतना तय है कि ताज महल, भगवान शिव और तेजोमहालय विवाद (Tejo Mahalaya controversy) जैसे विषय आने वाले समय में भी चर्चा में रहेंगे।
फिलहाल लोगों को यह ध्यान रखना चाहिए कि सोशल मीडिया पर वायरल हर बात सच नहीं होती। असली तथ्यों को जानने के लिए हमें इतिहासकारों और प्रमाणिक स्रोतों पर भरोसा करना चाहिए।
FAQs
क्या ताज महल पहले शिव मंदिर था?
कुछ शोधकर्ताओं का दावा है कि ताज महल दरअसल एक शिव मंदिर था, जिसका नाम तेजोमहालय (Tejo Mahalaya) था। लेकिन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं की है।
परेश रावल ने ताज महल को लेकर क्या कहा?
परेश रावल ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने ताज महल के गुंबद और भगवान शिव का जिक्र किया। इस पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर भारी विवाद और चर्चा शुरू हो गई।
Some support the claim of Taj Mahal being a Shiva temple, while others call it just a Mughal monument.