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Sridhar Vembu: आज के समय में जब ज़्यादातर स्टार्टअप्स करोड़ों के निवेश और वेंचर फंडिंग के भरोसे चल रहे हैं,
वहीं एक भारतीय उद्यमी ने बिना किसी लोन या विदेशी निवेश के, गाँव से उठकर एक वैश्विक सॉफ्टवेयर कंपनी खड़ी की — जिसका नाम है “Zoho Corporation”।
जी हाँ, हम बात कर रहे हैं श्रीधर वेम्बू (Sridhar Vembu) की, जो आज भारत के सबसे सफल और प्रेरणादायक उद्यमियों में गिने जाते हैं।
साधारण शुरुआत, असाधारण सोच
Sridhar Vembu का जन्म तमिलनाडु के एक छोटे से गाँव थंजावुर जिले में हुआ।
उनका परिवार मध्यमवर्गीय था — पिता सरकारी विभाग में छोटे अधिकारी थे।
बचपन से ही श्रीधर की रुचि पढ़ाई और तकनीक में थी, लेकिन वह हमेशा “गाँव से जुड़ी जिंदगी” को ही असली जीवन मानते थे।
उन्होंने IIT मद्रास से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और बाद में
Princeton University (USA) से Ph.D. किया।
वहाँ उन्होंने हाई-टेक कंपनियों में काम किया, लेकिन कुछ सालों बाद उन्हें महसूस हुआ कि
भारत को सिर्फ इंजीनियर्स नहीं, बल्कि निर्माता (creators) की ज़रूरत है।
बिना निवेश, बिना लोन – “Zoho” की नींव
1996 में Sridhar Vembu ने अपने भाई कुमार वेम्बू के साथ मिलकर “AdventNet” नाम से कंपनी शुरू की,
जो बाद में Zoho Corporation बनी।
Sridhar Vembu के पास न कोई बड़ा निवेशक था, न बैंक से लिया गया कोई लोन।
सिर्फ मेहनत, तकनीकी ज्ञान और आत्मविश्वास के बल पर उन्होंने कंपनी को खड़ा किया।
आज Zoho एक ₹60,000 करोड़ (7 बिलियन डॉलर) की कंपनी है,
और दुनिया के 180+ देशों में इसके 100 मिलियन से ज्यादा यूज़र्स हैं।
क्या बनाता है Zoho को अलग?
Zoho दुनिया की उन कुछ कंपनियों में से है जो पूरी तरह bootstrapped (self-funded) है।
यानि अब तक कंपनी ने कोई बाहरी निवेश या फंडिंग नहीं ली।
Zoho के प्रमुख उत्पाद:
- Zoho Mail (Gmail का भारतीय विकल्प)
- Zoho CRM
- Zoho Books (Accounting Software)
- Zoho Projects
- Zoho Meeting
- Zoho Writer & WorkDrive
इन सभी उत्पादों को भारतीय इंजीनियर्स ने भारत में ही डेवलप किया है।
गाँव से चलता है ग्लोबल बिज़नेस
Sridhar Vembu ने सालों पहले चेन्नई या बेंगलुरु के बड़े दफ्तर छोड़कर तंजावुर के छोटे गाँव “Mathalamparai” में रहना शुरू किया।
वहीं से वे Zoho का कुछ हिस्सा रिमोट तरीके से चलाते हैं।
Sridhar Vembu मानते हैं कि
“अगर भारत को बदलना है, तो हमें गाँवों से ही शुरुआत करनी होगी।”
उनका मानना है कि डिजिटल टेक्नोलॉजी गाँवों तक पहुँचे तो वहाँ से भी दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियाँ निकल सकती हैं।
खुद सिखाते हैं, फिर नौकरी भी देते हैं
Zoho का एक अनोखा मॉडल है — “Zoho Schools of Learning”।
यहाँ वे ग्रामीण युवाओं को मुफ्त में कोडिंग, बिज़नेस और टेक्नोलॉजी सिखाते हैं,
और जो छात्र अच्छा प्रदर्शन करते हैं, उन्हें कंपनी में ही नौकरी दे दी जाती है।
“No College Degree? No Problem!”
Zoho में भर्ती के लिए डिग्री की कोई अनिवार्यता नहीं है।
कंपनी कहती है —
“हम डिग्री नहीं, प्रतिभा और सीखने की इच्छा को महत्व देते हैं।”
इस पहल से अब तक 1,000+ ग्रामीण युवाओं को सीधे नौकरी मिल चुकी है।
Sridhar Vembu की जीवनशैली – सादगी और सेवा
हालाँकि वे अरबपति हैं, लेकिन उनका जीवन बेहद सादा है।
- वे साइकिल से गाँव में घूमते हैं।
- सामान्य कपड़े पहनते हैं।
- इंटरनेट और लैपटॉप से अपना काम संभालते हैं।
- गाँव के स्कूलों में बच्चों को मुफ्त शिक्षा दिलवाते हैं।
Sridhar Vembu कहते हैं,
“हमारी असली ताकत शहर नहीं, गाँव हैं। अगर गाँव आत्मनिर्भर हुए, तो भारत सबसे बड़ा इनोवेशन हब बन सकता है।”
पुरस्कार और सम्मान
Sridhar Vembu को उनकी दूरदृष्टि और योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं:
- Padma Shri (2021) – भारत सरकार द्वारा
- EY Entrepreneur of the Year (2022)
- Forbes India Leadership Award (2023)
- और कई बार “Top 50 Global Tech Entrepreneurs” की सूची में नाम शामिल
Sridhar Vembu से सीखने योग्य बातें
- Loan नहीं, Vision जरूरी है
- उन्होंने दिखाया कि बड़ी कंपनी शुरू करने के लिए पैसा नहीं, सोच चाहिए।
- ग्रामीण भारत की ताकत पर भरोसा
- उन्होंने साबित किया कि टैलेंट सिर्फ शहरों में नहीं, गाँवों में भी है।
- Education से Employment तक का रास्ता
- Zoho Schools जैसे मॉडल से उन्होंने शिक्षा और नौकरी को जोड़ा।
- Simplicity is Power
- भव्य ऑफिस नहीं, बल्कि सादगी से भी सफलता पाई जा सकती है।
निष्कर्ष
Sridhar Vembu सिर्फ एक बिज़नेस टाइकून नहीं, बल्कि नए भारत के सच्चे प्रेरणास्रोत हैं।
उन्होंने दिखाया कि बिना लोन, बिना निवेशक और बिना दिखावे के भी
एक भारतीय गाँव से एक वैश्विक कंपनी बनाई जा सकती है।
“वो खुद सिखाते हैं, खुद बनाते हैं और खुद रोजगार देते हैं —
यही है असली आत्मनिर्भर भारत की भावना।” 🇮🇳