Sahasam: अरे यार, मलयालम सिनेमा की बात ही कुछ अलग है! खासकर जब वो हंसी-मजाक और कंफ्यूजन का तड़का लगाते हैं ना, तो कमाल कर देते हैं. ऐसी ही कुछ फिल्में हैं जो दिल में बस गई हैं. अब इसी लिस्ट में बिबिन कृष्णा की नई फिल्म ‘Sahasam’ भी शामिल होने आ गई है. इसमें भी आपको रंग-बिरंगे किरदार मिलेंगे जिनकी ज़िंदगी ऐसे उलझती है कि पूछो मत!
Sahasam Movie Malayalam Review
तो कहानी है जीवन (रमज़ान मुहम्मद) और उसकी गर्लफ्रेंड सेरा (गौरी जी किशन) की. इन दोनों का प्यार बड़ा मुश्किल में है क्योंकि सेरा के घरवाले उसकी शादी कहीं और फिक्स कर देते हैं, उसकी मर्ज़ी के खिलाफ. अब ये बेचारे कपल इस मुश्किल से निकलने की कोशिश करते हैं और यहीं इनकी एंट्री होती है मस्तान भाई (बाबू एंटनी) की, जिनका अतीत थोड़ा क्रिमिनल टाइप का रहा है. बस फिर क्या था, इसके बाद तो कंफ्यूजन की ऐसी चेन रिएक्शन शुरू होती है कि सेरा के घरवाले, मस्तान के दुश्मन और कुछ और अतरंगी लोग – सब एक-दूसरे में ऐसे उलझते हैं जैसे कोई मांझे का गुच्छा!
Sahasam पूरी फिल्म एक ही दिन में खत्म होती है, लेकिन वो एक दिन जीवन की ज़िंदगी को उल्टा-पुल्टा कर देता है. पहला हाफ तो बस कहानी को उस पॉइंट तक ले जाने में लगा है जहां सब कुछ धमाके की तरह फटेगा. एनर्जी, ट्विस्ट और ये फीलिंग कि अब कुछ होने वाला है – सब कुछ भरा पड़ा है. कहानी कहीं टिकती नहीं, बस भागती रहती है, और यही चीज़ फिल्म को मस्त पेस देती है और माहौल को हल्का-फुल्का रखती है.
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पेट पकड़कर हंसने को तैयार?
यार, ‘Sahasam’ की सबसे बड़ी ताकत उसकी कॉमेडी है. सच कहूं तो, कॉमेडी बिल्कुल सही जगह पर लैंड करती है, मतलब आप हंसने को मजबूर हो जाते हो. और इसका क्रेडिट जाता है शानदार परफॉरमेंस देने वाले एक्टर्स को. नरेन, बैजू संतोष, शबरीश वर्मा और बाकी सब ने ऐसी जान डाली है कि एनर्जी हाई रहती है.
खासकर नरेन तो दिल जीत लेते हैं एक पुलिसवाले के रोल में जिनकी मूंछें ही अपने आप में एक कॉमेडी हैं और वो अपनी पत्नी पर हर बात में शक करते रहते हैं. उनके ये नखरे और टाइमिंग फिल्म में एक ताज़गी भरी हंसी लाते हैं. बाबू एंटनी का रोल थोड़ा सीरियस है, लेकिन वो भी अपने जाने-पहचाने किरदारों से हटकर कुछ ऐसा करते हैं जो सरप्राइज भी करता है और एंटरटेन भी. शबरीश वर्मा और बैजू संतोष भी अपना अलग चार्म बिखेरते हैं, और हरि सीवाराम, जो पप्पन बने हैं, उनकी कॉमिक टाइमिंग तो गजब की है!
थोड़ी कमियां, पर फिर भी मजा है!
अब हर चीज़ परफेक्ट तो नहीं होती ना? Sahasam फिल्म में भी कुछ चीज़ें ऐसी हैं जो थोड़ी खटकती हैं. जैसे जीवन और सेरा की जो लव स्टोरी है, उसे Sahasam फिल्म का इमोशनल कोर तो बताया गया है, लेकिन यार, उसमें फील नहीं आता. दर्शकों से बस उम्मीद की जाती है कि वो उनका रिश्ता मान लें, जबकि उन्हें उस रिश्ते से जुड़ने का मौका ही नहीं मिलता. खैर, फिल्म भी इन इमोशनल सीन्स पर ज़्यादा रुकती नहीं, फटाफट अपनी कई सारी सब-प्लॉट और सपोर्टिंग कैरेक्टर्स की दुनिया में वापस आ जाती है.
दूसरा हाफ, वैसे तो वो भी मजेदार है, लेकिन थोड़ा बिखरा-बिखरा सा लगता है. कभी-कभी कहानी भटक जाती है क्योंकि बहुत सारे किरदार और उनकी अलग-अलग बातें एक साथ चल रही होती हैं. कई विलेन भी डाल दिए गए हैं जिससे कंफ्यूजन और बढ़ जाता है. कुछ किरदारों को तो बहुत बड़े बिल्ड-अप के साथ दिखाया जाता है, लेकिन बाद में उनका कहानी में कोई ख़ास रोल ही नहीं निकलता.
तो, सीधी बात कहें तो, इन सब कमियों के बावजूद ‘Sahasam‘ एक मज़ेदार फिल्म है, जिसकी जान उसकी कॉमेडी और एक्टर्स की दमदार एक्टिंग है. फिल्म पूरी तरह से अपनी कास्ट की एनर्जी और कहानी के अनप्रेडिक्टेबल मोड़ों पर टिकी है. हो सकता है इसमें आपको गहरा इमोशनल कनेक्शन या एकदम कसी हुई कहानी न मिले, लेकिन हंसने और उलझाने के लिए इसमें काफी कुछ है. एक बार देखोगे तो बुरा नहीं लगेगा, इतनी गारंटी है!










