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देशभर के कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) हमेशा से एक भरोसेमंद नाम रहा है, लेकिन हाल ही में बेंगलुरु के EPFO स्टाफ क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी में 70 करोड़ रुपये का एक बड़ा घोटाला सामने आया, जिसने सैकड़ों लोगों की गाढ़ी कमाई को दांव पर लगा दिया। पुलिस की जांच में यह खुलासा हुआ कि EPFO स्टाफ के सीईओ गोपी और कर्मचारी लक्ष्मी जगदीश ने, अकाउंटेंट जगदीश के साथ मिलकर, जमा रकम में गबन किया और करोड़ों की FD (फिक्स्ड डिपॉजिट) की राशि को निजी लाभ के लिए इस्तेमाल किया गया।
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घोटाला कैसे हुआ?
EPFO स्टाफ कोऑपरेटिव सोसायटी पिछले 61 वर्षों से कर्मचारी और पेंशनर्स के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीम चलाती थी, जिसमें सदस्यों को हर महीने ब्याज मिलता था। कुछ महीनों पहले तक सबकुछ सामान्य था, लेकिन तीन महीने से ब्याज भुगतान बंद होने पर निवेशकों को संदेह हुआ। एक कर्मचारी ने पैसे निकालने की कोशिश की तो अकाउंट्स में भारी गड़बड़ी पकड़ी गई। पुलिस की जांच में सामने आया कि केवल ₹3 करोड़ का लोन दिया गया, जबकि बाकी ₹67 करोड़ का कोई हिसाब नहीं मिला; ये रकम आरोपियों ने निजी संपत्ति और लक्जरी जीवन में खर्च की थी।
पुलिस ने क्या बरामद किया?
पुलिस ने कई ठिकानों पर छापेमारी की और आरोपी CEO व कर्मचारी को गिरफ्तार किया, जबकि अकाउंटेंट फरार है। छापों में कई लक्जरी कारें, महंगी बाइक, सोने के गहने, नकदी, प्रॉपर्टी दस्तावेज़, निवेश के कागज और भारी वित्तीय रिकॉर्ड जब्त किए गए।
प्रभावित कितने लोग हुए?
करीब 300 EPFO कर्मचारियों और पेंशनर्स की जिंदगी की बचत खतरे में पड़ गई। घोटाले के खुलासे के बाद कर्मचारी सदमे में हैं; उन्हें भरोसा था कि उनकी जमा राशि पूरी तरह सुरक्षित रहेगी। लेकिन इस धोखाधड़ी ने सभी को चौंका दिया है, और पीड़ित अब न्याय और रकम की वापसी की मांग कर रहे हैं।
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पुलिस और जांच एजेंसियों की कार्रवाई
अभी पुलिस मुख्य आरोपी अकाउंटेंट की तलाश में है और फंड का ट्रैक कर रही है। साथ ही, इस केस को CID के हवाले करने की तैयारी की जा रही है ताकि आर्थिक अपराध शाखा गहराई से जांच कर सके।
इस घोटाले से क्या सबक मिला?
यह घटना यह सिखाती है कि चाहे संस्थान कितना भी पुराना और भरोसेमंद क्यों न हो, पैसों के निवेश में सावधानी जरूरी है। निवेशकों को अपने फंड की पूरी जानकारी, ट्रांजैक्शन और फंड मूवमेंट की अपडेट समय-समय पर लेनी चाहिए। किसी भी संदिग्ध फाइनेंशियल संस्था में बिना अच्छी पड़ताल के निवेश नहीं करना चाहिए।










