Contents
- 1 बदलाव #1: डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) से सब्सिडी
- 2 बदलाव #2: कास्ट रिफ्लेक्टिव टैरिफ – सच्चे खर्च के अनुसार बिल
- 3 बदलाव #3: एक क्षेत्र में मल्टीपल डिस्कॉम (प्राइवेट कंपनियाँ)
- 4 बदलाव #4: स्मार्ट प्रीपेड मीटर – मोबाइल रिचार्ज की तरह बिजली
- 5 बदलाव #5: हर महीने बदल सकता है electricity दर
- 6 आम उपभोक्ता के लिए असर
- 7 कब तक लागू होंगे ये बदलाव?
भारत में बिजली खपत और बिलिंग व्यवस्था 2025 में सबसे बड़े बदलाव से गुज़रने वाली है। केंद्र सरकार ने “electricity amendment bill 2025“ पारित किया है, जिसके तहत न केवल बिजली बिल की गणना पद्धति बदलेगी, बल्कि सब्सिडी का तरीका, कंपनी चुनने की आज़ादी और smart meter prepaid billing system भी पूरी तरह रूपांतरित हो जाएगा। परिणामस्वरूप, कुछ के बिल सस्ते होंगे तो कुछ के महंगे भी हो सकते हैं – सब कुछ लागत और खपत पर निर्भर करेगा।
बदलाव #1: डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) से सब्सिडी
पहले का तरीका: बिजली कंपनियाँ कम दरें देती थीं, जिसका बोझ अन्य उपभोक्ताओं पर पड़ता था – अमीरों को सब्सिडी दी जाती थी आम आदमी के पैसों से।
नया तरीका: अब सरकार सीधे किसानों, गरीबों और पेंशनर्स के बैंक खातों में रक़म ट्रांसफर करेगी। सब्सिडी सीधे सरकार की बजट से मिलेगी, न कि एक कस्टमर से दूसरे को। यानी, पारदर्शिता, इंसाफ़ और कोई क्रॉस-सब्सिडी नहीं।
उदाहरण: एक किसान को ₹50/यूनिट की जगह ₹20/यूनिट बिल आएगा, और बाकी ₹30 का अंतर सीधे उसके खाते में आएगा। इससे कोई और (कारोबारी या घर वाला) अतिरिक्त खर्च नहीं उठाएगा।
बदलाव #2: कास्ट रिफ्लेक्टिव टैरिफ – सच्चे खर्च के अनुसार बिल
यह क्या है? यानी, electricity जो वास्तव में कोयला/प्राकृतिक गैस/नवीकरणीय स्रोत से बनी है, ट्रांसमिशन और डिस्ट्रिब्यूशन में जो खर्च हुआ, और कंपनी का मुनाफा – सब कुछ जोड़कर ईमानदारी से बिल तय होगा।
फायदा:
- कोई छिपी सब्सिडी या गोपन लागत नहीं
- हर दिन की लागत के अनुसार (FPPAS – Fuel Power Purchase Adjustment) बिल बदल सकता है
- दिल्ली जैसे कई जगहों पर हर महीने बिजली दरें अलग हो सकती हैं।
बदलाव #3: एक क्षेत्र में मल्टीपल डिस्कॉम (प्राइवेट कंपनियाँ)
पहले: एक ही क्षेत्र में सिर्फ सरकारी बिजली कंपनी होती थी – कोई चुनाव नहीं।
अब: एक ही शहर में 2-3 electricity कंपनियाँ काम कर सकेंगी। आप चाहें तो:
- सरकारी (BSES, DESCOMम etc.) से बिजली लें
- या प्राइवेट कंपनी से
- या फिर अलग-अलग वक्त में अलग-अलग से ले सकते हैं (जैसे मोबाइल रोमिंग)।
फायदा: प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, सर्विस बेहतर होगी, दरें भी तुलनीय होंगी।
बदलाव #4: स्मार्ट प्रीपेड मीटर – मोबाइल रिचार्ज की तरह बिजली
2025 तक पूरे भारत में प्रीपेड स्मार्ट मीटर अनिवार्य हो जाएंगे।
कैसे काम करेगा:
- पहले electricity खरीदो (रिचार्ज), फिर इस्तेमाल करो
- मोबाइल ऐप या SMS से तुरंत कनेक्शन कट जाएगा (यदि पैसे खत्म हो गए)
- रियल टाइम electricity – कोई छिपा हुआ खर्च नहीं
- बिजली चोरी पकड़ने में आसानी
- पर्यावरण-अनुकूल डेटा संचय।
बदलाव #5: हर महीने बदल सकता है electricity दर
वर्तमान में electricity की दरें 2-3 महीने के लिए तय रहती हैं, लेकिन नई व्यवस्था में हर महीने बदल सकती हैं (अगर ईंधन या कोयले की कीमत बदल जाए)।
उदाहरण:
- नवंबर: कोयला सस्ता → बिल ₹3/यूनिट कम
- दिसंबर: कोयला महंगा → बिल ₹2/यूनिट बढ़
- यह FPPAS के माध्यम से जोड़/घटाया जाएगा।
आम उपभोक्ता के लिए असर
| पहलू | फायदे | संभावित चुनौतियाँ |
|---|---|---|
| सब्सिडी | सीधे खाते में, पारदर्शी | कुछ को कम मिल सकता है |
| टैरिफ | ईमानदार दरें, प्रतिस्पर्धा | हर महीने बदल सकते हैं |
| कंपनी चुनाव | आज़ादी, बेहतर सेवा | कन्फ्यूजन, ऊंची-नीची सेवा |
| स्मार्ट मीटर | सुविधा, सुरक्षा | शुरुआती ट्रेनिंग जरूरी |
कब तक लागू होंगे ये बदलाव?
- DBT सब्सिडी: 2025-26 से धीरे-धीरे शुरू
- स्मार्ट मीटर: 2025 के अंत तक पूरी तरह (लक्ष्य)
- मल्टीपल डिस्कॉम: 2026-27 तक (राज्य अनुसार अलग-अलग)
- कास्ट रिफ्लेक्टिव टैरिफ: तुरंत लागू होना शुरू।










