इंफोसिस ऑफिस बॉय से बिजनेसमैन तक: दादासाहेब भगत की कहानी जिसने Canva को दी टक्कर – विस्तार से जानकारी – Dadasaheb Bhagat

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Dadasaheb Bhagat

भारत में ऐसी कई प्रेरणादायक कहानियां हैं जो दिखाती हैं कि कैसे कठोर मेहनत और समर्पण से कोई भी इंसान अपनी जिंदगी बदल सकता है। इनमें से एक है Dadasaheb Bhagat की कहानी, जो कभी इंफोसिस के ऑफिस बॉय थे और आज वे अपने खुद के स्टार्टअप के मालिक हैं। उनकी कंपनी डिज़ाइन टेम्प्लेट, डिजिटल डिजाइनिंग की दुनिया में Canva को टक्कर दे रही है। आइए इस लेख में उनके संघर्ष, सफलता, कंपनी के बारे में, और कैसे वे Canva जैसे ग्लोबल दिग्गज को चुनौती दे रहे हैं, विस्तार से जानें।

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शुरुआती दिन: ऑफिस बॉय के तौर पर संघर्ष

Dadasaheb Bhagat का जन्म महाराष्ट्र के बीड जिले में हुआ। आर्थिक दृष्टि से कमजोर परिवार से आने के कारण जीवन की शुरुआत बहुत ही सामान्य थी। वे इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद भी शुरूआत में भारी आर्थिक मुश्किलों से जूझ रहे थे। उन्होंने इंफोसिस में ऑफिस बॉय के पद पर काम शुरू किया। यह एक बहुत ही बेसिक पोस्ट था जहाँ से उनकी अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने की कहानी शुरू हुई।

इस दौर में उन्होंने कंपनी की कार्यप्रणाली को करीब से जाना और डिजिटल दुनिया में अपने कदम बढ़ाने का सपना देखा।

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डिजिटल मार्केट में कदम: डिजाइनिंग का प्यार

Dadasaheb Bhagat को कंप्यूटर और डिज़ाइनिंग में रुचि थी। अपने फ्री समय का उपयोग करते हुए उन्होंने डिजिटल डिजाइनिंग सीखी और छोटे-छोटे टेंप्लेट बनाने शुरू किए। इस क्षेत्र में उन्हें जल्द ही सफलता मिली और उन्होंने महसूस किया कि भारतीय बाजार में डिजिटल डिजाइन की बहुत जरूरत है।

उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें स्थानीय स्तर पर लोकप्रिय बना दिया, लेकिन उनका सपना बड़ा था।

कंपनी की स्थापना: Made-in-India डिज़ाइन प्लेटफॉर्म

Dadasaheb Bhagat ने “Design Template” नामक कंपनी की स्थापना की, जो एक ऐसा डिजिटल प्लेटफॉर्म है जहां यूजर्स बिना किसी तकनीकी जानकारी के भी अपने कला और डिजाइन बना सकते हैं। यह प्लेटफॉर्म विशेष रूप से भारतीय उपयोगकर्ताओं की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया गया है।

उनकी कंपनी ने Canva जैसे बड़े ग्लोबल प्लेयर्स को टक्कर दी, खासकर अपनी यूजर फ्रेंडली सर्विसेज, भारतीय भाषा सपोर्ट और अपने कस्टमाइजेशन ऑप्शंस के कारण।

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Canva को कैसे दी चुनौती?

Canva, जो कि ऑस्ट्रेलिया की कंपनी है, विश्व में डिज़ाइनिंग टूल के रूप में प्रसिद्ध है। लेकिन दादासाहेब भगत की कंपनी ने निम्न तरीकों से Canva को चुनौती दी:

  • विशेष भारतीय कस्टमर्स के लिए डिज़ाइन: भारत की भाषाई विविधता को देखते हुए स्थानीय भाषाओं में सपोर्ट प्रदान करना।
  • सुलभता और सरलता: यूजर के अनुकूल इंटरफेस जो कॉम्प्लेक्स टूल्स को आसान बनाता है।
  • लोकलाइज्ड टेम्प्लेट: भारतीय त्योहारों और सांस्कृतिक प्रश्रों से जुड़े डिजाइन टेम्प्लेट।
  • मजबूत मार्केटिंग: सोशल मीडिया, वीडियो ट्यूटोरियल्स और स्थानीय प्रचार के माध्यम से तेज़ी से पहचान बनाना।

सफलता के आंकड़े और बदलाव

Dadasaheb Bhagat की कंपनी ने ₹40 करोड़ से ऊपर का वैल्यूएशन प्राप्त किया है। उनकी सफलता का एक बड़ा हिस्सा शार्क टैंक इंडिया पर मिली प्रसिद्धि भी है, जहां उनकी प्रेजेंटेशन और प्रोडक्ट की क्षमताओं को सराहा गया।

इसके अतिरिक्त उनकी कंपनी ने भारतीय डिज़ाइन मार्केट में नए रोजगार के अवसर भी पैदा किए हैं और डिजिटल क्रिएटिव फील्ड में युवाओं के लिए नए रास्ते खोले हैं।

सीख और प्रेरणा

Dadasaheb Bhagat की कहानी हमें यह सिखाती है कि आर्थिक मुश्किलों के बावजूद भी कड़ी मेहनत, लगन और सही दिशा में प्रयास से सफलता मिलती है। न कोई बड़ा संसाधन हो, न बहुत बड़ी रकम, पर जुनून और मेहनत से बड़े से बड़ा सपना पूरा किया जा सकता है।

Dadasaheb Bhagat की कहानी भारत के हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा है कि अपने सपनों को साकार करने के लिए अवसर हमेशा मौजूद होते हैं।


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