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भारत सरकार और नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने डिजिटल भुगतान प्रणाली में बड़ा बदलाव शुरू किया है।
अब UPI ट्रांजैक्शन के लिए PIN डालने की जरूरत खत्म हो जाएगी क्योंकि जल्द ही biometric authentication यानी फिंगरप्रिंट या फेस स्कैन से पेमेंट की सुविधा शुरू होने जा रही है।
क्या है UPI Biometric Authentication?
UPI Biometric Authentication एक नई प्रणाली है, जिसमें यूजर को ट्रांजैक्शन पूरा करने के लिए PIN टाइप करने की जगह फिंगरप्रिंट या फेस स्कैन से अपनी पहचान साबित करनी होगी।
यह तकनीक सीधे आधार (Aadhaar) से जुड़ी biometric जानकारी का उपयोग करेगी ताकि सुरक्षा और सुविधा दोनों को एक साथ मजबूत बनाया जा सके।
कब से लागू होगी यह सुविधा?
NPCI ने घोषणा की है कि यह फीचर 2025 के अंत तक देशभर में लागू किया जाएगा।
शुरुआती चरण में इसे चुनिंदा बैंकों और UPI ऐप्स जैसे Google Pay, PhonePe और Paytm पर टेस्ट किया जा रहा है।
शुरुआत में यह सुविधा छोटे ट्रांजैक्शन (5000 रुपये तक) के लिए उपलब्ध होगी और बाद में इसे बड़े भुगतान के लिए भी लागू किया जाएगा।
यह प्रणाली कैसे काम करेगी?
- सबसे पहले यूजर को अपने UPI ऐप को लेटेस्ट वर्जन में अपडेट करना होगा।
- ऐप की सेटिंग्स में जाकर “Biometric Authentication” या “Fingerprint/Facescan for UPI” विकल्प को ऑन करना होगा।
- इसके बाद हर भुगतान के समय PIN डालने के बजाय फिंगरप्रिंट या फेस स्कैन से ऑथेंटिकेशन किया जाएगा।
- यदि फोन में biometric सेंसर उपलब्ध नहीं है, तो पुराने तरीके यानी UPI PIN से ट्रांजैक्शन किया जा सकेगा।
नए सिस्टम के फायदे
- तेज़ और आसान प्रक्रिया – PIN डालने की झंझट खत्म होगी और ट्रांजैक्शन कुछ सेकंड में पूरा होगा।
- बेहतर सुरक्षा – PIN चोरी या फिशिंग के मामलों में कमी आएगी क्योंकि biometric डेटा यूनिक होता है।
- कम धोखाधड़ी की संभावना – फेक ऐप्स और थर्ड पार्टी यूजर एक्सेस को सीमित किया जा सकेगा।
- सभी वर्गों के लिए आसान – बुजुर्ग और ग्रामीण क्षेत्रों के लोग जिन्हें PIN याद रखने में परेशानी होती है, वे आसानी से इसका उपयोग कर सकेंगे।
ध्यान देने योग्य चुनौतियाँ
- डेटा सुरक्षा और गोपनीयता – Biometric डेटा बेहद संवेदनशील है, इसलिए उसके सुरक्षित भंडारण और उपयोग की जिम्मेदारी NPCI और बैंकों की होगी।
- डिवाइस कम्पैटिबिलिटी – सभी स्मार्टफोन में फिंगरप्रिंट या फेस स्कैन सेंसर नहीं होते, जिससे शुरुआती यूजर्स सीमित रह सकते हैं।
- नेटवर्क त्रुटियाँ – फेस या फिंगर स्कैन के दौरान नेटवर्क लेग या सिस्टम एरर ट्रांजैक्शन को प्रभावित कर सकता है।
- यूजर स्वीकृति – बहुत से उपयोगकर्ता पारंपरिक PIN सिस्टम के आदी हैं, इसलिए नई प्रणाली अपनाने में समय लग सकता है।
सुरक्षा को लेकर NPCI का बयान
NPCI का कहना है कि सभी biometric ट्रांजैक्शन encrypted होंगे और केवल बैंक के secure servers पर ही प्रोसेस किए जाएंगे।
कोई भी third-party ऐप biometric डेटा को स्टोर या misuse नहीं कर सकेगा।
इससे डिजिटल भुगतान में यूजर का भरोसा और सुरक्षा दोनों बढ़ेंगे।
भविष्य में क्या बदलाव देखने को मिलेंगे
आने वाले समय में यह प्रणाली वियरेबल डिवाइस, स्मार्ट वॉच और POS मशीनों तक फैलाई जा सकती है।
इसके साथ ही NPCI का लक्ष्य है कि ग्रामीण और सेमी-अर्बन क्षेत्रों में biometric आधारित UPI पेमेंट को प्राथमिकता दी जाए ताकि नकदी पर निर्भरता घटे और डिजिटल लेनदेन को और बढ़ावा मिले।
निष्कर्ष
UPI Biometric Authentication भारत में डिजिटल पेमेंट सिस्टम की अगली बड़ी क्रांति साबित हो सकती है।
यह न केवल भुगतान प्रक्रिया को आसान बनाएगी बल्कि सुरक्षा को भी कई गुना मजबूत करेगी।
हालांकि इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि सिस्टम कितना स्थिर और भरोसेमंद रहता है, और आम जनता इसे कितनी तेजी से अपनाती है।









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