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सितंबर 2025 में यूरोप के कई प्रमुख हवाई अड्डों पर एक बड़ा साइबर हमला (MUSE Software) हुआ जिसने पूरी एयरलाइन इंडस्ट्री को हिला दिया। इस घटना का सबसे बड़ा असर एयरपोर्ट्स के चेक-इन और बैगेज सिस्टम पर पड़ा। इसका कारण था MUSE software hack shut down airport system। हजारों यात्री घंटों लाइन में खड़े रहे, कई फ्लाइट्स देर से रवाना हुईं और कुछ कैंसिल भी करनी पड़ीं। यह घटना साबित करती है कि आज के दौर में एयरपोर्ट्स सिर्फ भौतिक नहीं, बल्कि डिजिटल सुरक्षा पर भी निर्भर हैं।
साइबर अटैक कैसे हुआ?
Collins Aerospace नामक कंपनी का MUSE Software इस हमले का मुख्य निशाना बना।
- MUSE Software यात्रियों के चेक-इन और बैगेज ड्रॉप के लिए उपयोग किया जाता है।
- हैकर्स ने इसे क्रैश कर दिया जिससे पूरे यूरोप के एयरपोर्ट्स पर काम रुक गया।
- तुरंत मैन्युअल प्रक्रिया अपनानी पड़ी, जिससे और ज्यादा अव्यवस्था फैल गई।
इससे यह सवाल उठता है कि airport cyber security challenges 2025 कितने गंभीर हैं और इनसे निपटने के लिए क्या तैयारी है।
किन एयरपोर्ट्स पर पड़ा असर?
- London Heathrow Airport – यूरोप का सबसे व्यस्त एयरपोर्ट, जहां 90% फ्लाइट्स 15–30 मिनट देर से चलीं।
- Brussels Airport – 50 से ज्यादा फ्लाइट्स रद्द करनी पड़ीं।
- Berlin Brandenburg Airport – 70% उड़ानें तय समय से देर से रवाना हुईं।
- Dublin Airport – यात्रियों को लंबी कतारों और सिस्टम फेल्योर का सामना करना पड़ा।
यह सब दिखाता है कि यह केवल एक देश नहीं बल्कि पूरा European airport cyber attack 2025 था।
MUSE Software Hack यात्रियों पर असर
इस साइबर हमले ने यात्रियों को सबसे ज्यादा परेशान किया।
- लंबी कतारें और कई घंटे का इंतजार।
- जिन यात्रियों के पास ऑनलाइन बोर्डिंग पास नहीं था, उन्हें ज्यादा दिक्कत झेलनी पड़ी।
- कई यात्रियों की फ्लाइट्स रद्द हो गईं, जिससे उनकी ट्रैवल प्लानिंग बिगड़ गई।
यानी यह घटना स्पष्ट करती है कि impact of cyber attack on passengers कितना बड़ा हो सकता है।
एयरलाइंस और अधिकारियों की प्रतिक्रिया
- Collins Aerospace ने कहा कि वे तुरंत समस्या ठीक करने पर काम कर रहे हैं।
- एयरपोर्ट्स ने यात्रियों से अपील की कि वे ऑनलाइन चेक-इन का ज्यादा इस्तेमाल करें।
- साइबर सिक्योरिटी एजेंसियों ने जांच शुरू कर दी है।
सुरक्षा के लिए सबक
यह घटना बताती है कि एयरपोर्ट्स को डिजिटल सुरक्षा पर कितना ध्यान देना होगा।
- बैकअप सिस्टम अनिवार्य होना चाहिए।
- नियमित सॉफ्टवेयर अपडेट और सिक्योर सर्वर जरूरी हैं।
- साइबर सुरक्षा ट्रेनिंग और त्वरित रेस्पॉन्स टीम हमेशा तैयार रहनी चाहिए।
भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए एयरपोर्ट्स को IT इंफ्रास्ट्रक्चर और साइबर सुरक्षा पर और ज्यादा निवेश करना होगा।
निष्कर्ष
European airport cyber attack 2025 and MUSE software hack ने पूरी दुनिया को यह दिखा दिया कि आधुनिक हवाई यात्रा कितनी संवेदनशील है। यात्रियों को हुई परेशानी और एयरलाइनों का नुकसान इस बात का सबूत है कि डिजिटल सुरक्षा अब प्राथमिकता बननी चाहिए। आने वाले समय में एयरपोर्ट्स और एयरलाइंस को साइबर खतरों से निपटने के लिए और भी सख्त कदम उठाने होंगे।