Hockey का वो जादूगर, जिसकी स्टिक से निकलता था गोल: Major Dhyan Chand की अनसुनी कहानी!

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आज ‘राष्ट्रीय खेल दिवस’ है, और ये दिन हम सब भारतियों के लिए बेहद खास है। जानते हैं क्यों? क्योंकि आज के दिन हम याद करते हैं Hockey के उस महान जादूगर को, जिसने अपनी स्टिक से दुनिया को हैरान कर दिया था – मेजर ध्यानचंद। 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में जन्मे Major Dhyan Chand जी को ‘Hockey का जादूगर’ ऐसे ही नहीं कहा जाता था, उनकी खेलने की कला ऐसी थी कि आज भी नए खिलाड़ी उनसे प्रेरणा लेते हैं। तो चलिए, जानते हैं इस महान खिलाड़ी की कुछ दिलचस्प बातें।

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‘जादूगर’ क्यों कहते थे इन्हें?

उनकी स्टिक में मानो कोई जादू था! विपक्षी खिलाड़ी हैरान रह जाते थे कि गेंद उनकी स्टिक से चिपकी कैसे रहती है। कहते हैं, जब ध्यानचंद मैदान में होते थे, तो Hockey का खेल ही बदल जाता था। उनकी कप्तानी में भारत ने Hockey में ऐसी धाक जमाई कि दुनिया देखती रह गई। लगातार तीन बार ओलंपिक में सोने का तमगा जीतना कोई बच्चों का खेल नहीं था!

Major Dhyan Chand के नेतृत्व में भारत ने इन ओलंपिक्स में गोल्ड जीता:

  • 1928 एम्स्टर्डम ओलंपिक
  • 1932 लॉस एंजिल्स ओलंपिक
  • 1936 बर्लिन ओलंपिक

सोचिए, 1926 से 1948 के बीच उन्होंने 1000 से भी ज्यादा गोल दागे! ये नंबर सुनकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। देश ने उन्हें उनके इस अद्भुत खेल के लिए 1956 में पद्म भूषण जैसे बड़े सम्मान से नवाजा।

एक आम सिपाही से ‘जादूगर’ तक का सफर

कम लोगों को पता होगा कि मेजर ध्यानचंद का Hockey सफर एक आम सिपाही के तौर पर शुरू हुआ था। 1922 में वो ब्रिटिश इंडियन आर्मी की ‘फर्स्ट ब्राह्मण रेजिमेंट’ में शामिल हुए। यहीं पर मेजर तिवारी ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें Hockey खेलने के लिए प्रोत्साहित किया। बस, यहीं से शुरू हुई Hockey के एक नए सितारे की कहानी, जिसने आगे चलकर इतिहास रच दिया।

प्रधानमंत्री मोदी ने भी किया याद: खेल जगत में भारत की नई उड़ान

आज राष्ट्रीय खेल दिवस पर हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी ने भी मेजर ध्यानचंद को याद किया। उन्होंने अपने एक पोस्ट में लिखा कि ध्यानचंद जी की प्रेरणा आज भी लाखों खिलाड़ियों को आगे बढ़ने का हौसला देती है। PM मोदी ने पिछले एक दशक में भारत के खेल परिदृश्य में आए बड़े बदलावों की बात की। उन्होंने बताया कि कैसे:

  • ग्रासरूट लेवल पर प्रतिभाओं को निखारा जा रहा है।
  • विश्व स्तरीय खेल सुविधाओं का निर्माण हो रहा है।
  • सरकार खिलाड़ियों को हर तरह से समर्थन दे रही है।
  • भारत को खेल के क्षेत्र में एक ग्लोबल हब बनाने के लिए हर जगह superhit काम हो रहा है।

उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार खिलाड़ियों को हर तरह से मदद देने और भारत को खेल के क्षेत्र में एक वैश्विक केंद्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

Hockey का जोश बरकरार: एशिया कप भी आज से!

आज का दिन सिर्फ मेजर ध्यानचंद को याद करने का ही नहीं, बल्कि Hockey के जोश को नए सिरे से महसूस करने का भी है! बिहार के राजगीर में आज से 12वें एशिया कप हॉकी टूर्नामेंट की शुरुआत हो रही है। ये एक बड़ा टूर्नामेंट है जिसकी कुछ खास बातें हैं:

  • टूर्नामेंट का स्थान: राजगीर, बिहार
  • इसमें हिस्सा लेने वाली टीमें: 8 टीमें
  • क्यों है ये खास: यह टूर्नामेंट 2026 हॉकी वर्ल्ड कप (जो बेल्जियम और नीदरलैंड्स में होगा) के लिए क्वालिफायर भी है।

तो देखा आपने, कैसे एक महान खिलाड़ी की विरासत आज भी हमें प्रेरणा दे रही है और भारतीय Hockey एक नए मुकाम की ओर बढ़ रही है। मेजर ध्यानचंद अमर रहें!


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